वर्षांत समीक्षा2017-आयुष मंत्रालय
प्रधानमंत्री द्वारा नई दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थाईन का उद्घाटन
2400 करोड़ रुपये के परिव्यय से एन ए एम का और तीन वर्ष के लिए विस्तार
आयुष पर पहले अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन तथा प्रदर्शनी का आयोजन


राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) :
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2400 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ 1 अप्रैल, 2017 से 31 मार्च, 2020 तक राष्ट्रीय आयुष मिशन (एनएएम) को केन्द्रीय प्रायोजित योजना के रूप में जारी रखने की स्वीकृति प्रदान की है। यह मिशन देश में आयुष स्वास्थ्य-सेवा की प्रोन्नति के लिए सितम्बर, 2014 में शुरू किया गया था।
आयुष घटकों को मुख्यधारा में लाने के तहत 8994 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 2871 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 506 जिला अस्पतालों को आयुष सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। मंत्रालय अगले 10 वर्षों के दौरान सभी जिलों में एनएएम के अन्तर्गत 50 बिस्तरों वाले अस्पताल स्थापित करना चाहता है। अब तक 50 बिस्तर वाले 66 एकीकृत आयुष अस्पतालों तथा 992 योग स्वास्थ्य केन्द्रों को सहायता प्रदान की जा चुकी है। एनएएम के अन्तर्गत विभिन्न राज्यों/संघशासित प्रदेशों को वर्ष 2017-18 के लिए 490 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन:
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 17 अक्टूबर, 2017 को द्वितीय राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के दौरान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान राष्ट्र को समर्पित किया।
अपनी प्रकार का पहला अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) एआईआईएमएस की तर्ज पर स्थापित किया गया है।
मंत्रालय ने निम्नलिखित कार्यक्रमों के साथ द्वितीय राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया:
- आयुर्वेद क्षेत्र के सभी हितधारकों को एक मंच पर लाने तथा केवल पांच वर्ष की अवधि में उद्योग की उत्पादकता को तिगुना करने की दिशा में सृजनात्मक विचार-विमर्श के लिए मंच तैयार करने हेतु 16 अक्टूबर, 2017 को इंडिया हेबिटेट सेन्टर में सम्मेलन आयोजित किया गया।
- आयुर्वेद सेक्टर को 2.5 बिलियन डॉलर से 8 बिलियन डॉलर के उद्योग तक लाने के लिए आयुर्वेदा कन्कलेव विजन 2022 का आयोजन किया गया।
- माननीय प्रधानमंत्री ने 17 अक्टूबर, 2017 को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), सरिता विहार, नयी दिल्ली राष्ट्र को समर्पित किया।
23 स्वास्थ्य मेलों तथा 10 सेमिनारों/कार्यशालाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की गयी।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन :
तृतीय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस बड़े उत्साह के साथ मनाया गया, जिसके दौरान विभिन्न स्थानों पर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भारी संख्या में योग प्रदर्शन आयोजित किए गए। सामूहिक योग प्रदर्शन का मुख्य कार्यक्रम 21 जून, 2017 को लखनऊ के रामबाई अम्बेडकर मैदान में आयोजित किया गया, जहां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सामूहिक योग प्रदर्शन कार्यक्रम में भाग लिया।
तृतीय अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (आईडीवाई) के आयोजन के अभिनंदन में आयुष मंत्रालय ने 10-11 अक्टूबर, 2017 को नई दिल्ली में ‘स्वास्थ्य हेतु योग पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन किया।
इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैयानायडु ने किया। 44 देशों के 80 योग विशेषज्ञों/उत्साही व्यक्तियों सहित लगभग 600 भारतीय तथा विदेशी प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में हिस्सा लिया।
अन्तर्राष्ट्रीय आरोग्य (एआरओजीवाईए) 2017 :
आयुष मंत्रालय ने वाणिज्यिक विभाग, वाणिज्य मंत्रालय तथा उद्योग; फेडरेशन ऑफ इंडियन चेम्बरर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) तथा फार्मेक्सिल के सहयोग से ‘अंतर्राष्ट्रीय आरोग्य 2017’ – 4 से 7 दिसम्बर, 2017 के दौरान ‘आयुष में निर्यात संभावना की अभिवृद्धि’ थीम पर आयुष एवं स्वास्थ्य संबंधी अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी तथा सम्मेलन के प्रथम संस्करण का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में अन्तर्राष्ट्रीय आयुर्वेद विशेषज्ञ/शिक्षक/वैज्ञानिक/प्रबन्धकर्ता तथा निर्माता उपस्थित रहे। अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन तथा प्रबन्धकर्ताओं की बैठक के दौरान आयुष सेक्टर में मानकीकरण तथा गुणवत्ता नियंत्रण से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों; आयुष की निर्यात संभावना तथा व्यापार सुविधाओं में वृद्धि; तथा एकीकृत स्वास्थ्य जांच इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा हुई।
परम्परागत औषध पर कार्यदल बिमस्टेक (बीआईएमएसटीईसी) :
भारत में परम्परागत औषधियों पर बिमस्टेक कार्यदल की पहली बैठक 24-25 अक्टूबर, 2017 के दौरान नई दिल्ली में आयुष मंत्रालय द्वारा की गई, जिसमें बंग्लादेश जन गणतंत्र, भूटान साम्राज्य, भारतीय गणतंत्र, म्यामांर संघीय गणतंत्र, नेपाल संघीय प्रजातांत्रिक गणतंत्र, श्रीलंका प्रजातांत्रिक समाजवादी गणतंत्र तथा थाईलैंड साम्राज्य के प्रतिनिधियों सहित बिमस्टेक सचिवालय ने भागीदारी की।
अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग :
समझौता ज्ञापन (एमओयू) – अब तक 11 देशों के साथ संघीय स्तर पर समझौता ज्ञापन तथा 24 देशों के साथ संस्थानिक स्तर पर समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। अब तक 25 देशों में 28 आयुष सूचना प्रकोष्ठ स्थापित किए जा चुके हैं।
आयुष मंत्रालय के अधीन एक स्वतंत्र निकाय, होम्योपैथी केन्द्रीय अनुसंधान परिषद द्वारा निम्नलिखित के साथ तीन समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए :
- होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में अनुसंधान तथा शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग हेतु साइंटिफिक सोसायटी फॉर होम्योपैथी (विसहोम), जर्मनी
- अनुसंधान तथा शिक्षण के क्षेत्र में सहयोग हेतु फेडरल युनिवर्सिटी ऑफ रियो डी जेनेरियो-यूएफआरजे
- आयुष पद्धति पर संग्रहालय तथा होम्योपैथी पर ऐतिहासिक अभिलेखों के विकास के क्षेत्र में सहयोग हेतु इंस्टीच्यूट फार दी हिस्ट्री ऑफ मेडिसन, रार्बट बोस्क फाउंडेशन, स्टटगर्ट, जर्मनी
वैकल्पिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग से संबंधित आशय की संयुक्त घोषणा(जेडीआई) पर जर्मनी संघीय गणराज्य के संघीय स्वस्थ्य मंत्रालय तथा भारत गणराज्य के आयुष मंत्रालय के बीच 1 जून, 2017 को बर्लिन में चतुर्थ भारतीय-जर्मन अन्तराजकीय परामर्श (आईजीसी) के दौरान हस्ताक्षर किए गए।
21 जून, 2017 को तीसरे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के आयोजन के हिस्से के रूप में ‘स्वास्थ्य सेवा के उपाय तथा प्रतिरक्षा अभिवृद्धि-आयुर्वेदिक पद्धति’ थीम पर सिंगापुर में भारतीय उच्चायोग ने सिंगापुर आयुर्वेदिक चिकित्सा संघ (एपीएएस) के सहयोग से एक परिसंवाद एवं सेमीनार का आयोजन किया।
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान (एमडीएनआईवाई) तथा आयुर्वेद स्नातकोत्तर शिक्षण तथा अनुसंधान संस्थान (आईपीजीटीआरए) को विश्व स्वास्थ्य संगठन के संदर्भ संख्या डब्ल्यूएचओ सीसी नं आईएनडी-118 तथा डब्ल्यूएचओ सीसी नं आईएनडी-117 के तहत परम्परागत चिकित्सा पद्धति में विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोग केन्द्रों के रूप में पुनर्पदनामित किया गया है।
यूरोपीय आयुर्वेदिक विज्ञान संस्थान (ईएआईएस) की स्थापना के लिए 1 अक्टूबर, 2017 को सीसीआरएएस तथा युनिवर्सिटी ऑफ डेब्रीसेन, हंगरी के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
आयुष शिक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना के लिए सीसीआरएच तथा अर्मेनिया की येरेवन स्टेट मेडिकल युनिवर्सिटी के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के परिणाम स्वरूप अर्मेनिया की येरेवन स्टेट मेडिकल युनिवर्सिटी में एक होम्यापैथी प्राध्यापक पद की प्रतिनियुक्ति की गई है।
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड (एनएमपीबी) :
एनएमपीबी ने औषधीय तथा सुगंधदायक पादप हितधारक संघ (एफईडीएमएपीएस) नई दिल्ली के सहयोग से 19 तथा 20 जनवरी, 2017 को ‘भारतीय औषधीय एवं सुगंधदायक पादप राष्ट्रीय नीति निर्माण’ विषय पर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम का प्रयोजन भारत के औषधीय तथा सुगंधदायक पादप की राष्ट्रीय नीति (एमएपीज) का आलेख तैयार करना था। 22 नवम्बर, 2017 को समीक्षा बैठक आयोजित की गई थी तथा औषधीय पौधों संबंधी राष्ट्रीय नीति के प्रारूप को अंतिम रूप दिए जाने की प्रक्रिया जारी है। 2017-18 के दौरान दिसम्बर, 2107 तक औषधीय पौधों के संरक्षण, विकास तथा दीर्घकालिक प्रबंधन हेतु केन्द्रीय क्षेत्रक योजना के अन्तर्गत उपलब्धियों में, औषधीय पादप संसाधन अभिवृद्धि के तहत 2845.47 हेक्टेयर की व्यवस्था, पांच औषधीय पादप संरक्षण तथा विकास क्षेत्र (एमपीसीडीएज) के लिए 1000 हेक्टेयर क्षेत्र की व्यवस्था, राज्यों में 43 संयुक्त वन प्रबंधन समितियां (जेएफएमसीज), जीविका अभिवृद्धि के लिए, मूल्य अनुवृद्धि कार्यकलापों तथा हर्बल गार्डन, स्कूल हर्बल गार्डन तथा गृह हर्बल बागानों की स्थापना के लिए परियोजनाओं को सहयोग देना शामिल है।
औषधीय तथा सुगंधदायक पादप हितधारक संघ (एफईडीएमएपीएस) नई दिल्ली के सहयोग से एनएमपीबी भारत के 25 प्रमुख हर्बल मंडियों से 100 उच्च मांग वाले औषधीय पौधों के मासिक मंडी मूल्य मंगवा रहा है। इन मासिक मूल्यों को ‘ई-चर्क’ पोर्टल में तथा एनएमपीबी की वेबसाइट पर सभी हितधारकों की जानकारी के लिए प्रकाशित किया जाएगा।
2017 के दौरान डेंगू तथा चिकनगुनिया की रोकथाम हेतु अध्ययन(जारी है):
‘बुखार के प्रकोप के दौरान डेंगू तथा चिकनगुनिया की रोकथाम में यूपेटोरियम परफोलियटम की कारगरता एवं स्वास्थ्य निगरानी-एक खुला समूह स्तरीय अध्ययन’ शीर्षक अध्ययन के लिए नयाचार को परिषद की भिन्न-भिन्न समितियों ने स्वीकृति प्रदान की तथा 1 जुलाई, 2017 से अध्ययन शुरू कर दिया गया। यह एक खुला समूह स्तरीय अध्ययन है। इस अध्ययन में भाग लेने वाले उन स्लम क्षेत्रों से लिए जाते हैं, जहां मच्छरों का बाहुल्य है परन्तु स्पष्टत: वे स्वस्थ्य हैं। यह अध्ययन नई दिल्ली में मायापुरी, पीरागढ़ी, जखीरा, चुना भट्टी, केशव विहार तथा माधव विहार की जे जे कालोनियों में आयोजित किया जाएगा। नामित व्यक्तियों को 10 सप्ताह के लिए प्रति सप्ताह 30 औंस यूपेटोरियम परफोलियटम दी गई। कुल 70,000 भागीदार नामित किए गए थे अनुवर्ती अध्ययन अभी जारी है।
सिद्धा में केन्द्रीय अनुसंधान परिषद द्वारा मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली के साथ डेंगू में मानक देखरेख पर एक सहयोगी अनुसंधान परियोजना चलाई जानी है। यह डेंगू के संक्रमण/संक्रमणोपरांत डेंगू आर्थरलजिया में सिद्धा, आयुर्वेद तथा होम्योपैथिक मानक निगरानी की प्रभावकारिता की तुलना के लिए एक खुला स्तरीय गैर-तरतीब समांनातर समूह चरण-।।। चिकित्सीय परीक्षण बहुल -केन्द्र है।
फार्माकोपोइया कमीशन फॉर इंडियन मेडिसन एंड होम्योपैथी:
आयुर्वेदिक, सिद्धा, युनानी तथा होम्योपैथिक फॉरमलरिज/फार्माकोपोइया/कोडेक्स तथा ऐसे परिशिष्ट या पूरक सार-संग्रह का प्रकाशन तथा संशोधन
29 मई, 2017 को आयोजित सीआरएवी के 21वें दीक्षांत समारोह के उद्घाटन तथा रजत जयंती समारोह तथा ‘इविडेंस बेस्ड आयुर्वेदिक अप्रोच टू डायग्नोसिस, प्रीवेंसन एंड मेनेजमेंट ऑफ डायबिटीज एंड इट्स कम्पलीकेशंस’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के दौरान आयुष मंत्रालय में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) माननीय श्री श्रीपद नायक द्वारा तीन फार्माकोपियल प्रकाशनों यथा आयुर्वेदिक फार्माकोपोइया ऑफ इंडिया भाग-1, खंड-9, आयुर्वेदिक फार्माकोपोइया ऑफ इंडिया भाग-2, खंड-4 तथा यूनानी आयुर्वेदिक फार्माकोपोइया ऑफ इंडिया भाग-2, खंड-3 का विमोचन किया गया था।
फार्माकोपोइयल मानकों में सुधार
पिछली समिति के कार्यकाल की समाप्ति पर तीन वर्ष की अवधि के लिए एपीसी का पुनर्गठन किया गया। हाइड्रो-एल्कोहोलिक वाली 30 एकल औषधियों तथा संरूपणों तथा प्रत्येक 5 औषधियों के जल-तत्वों के फार्माकोपोइयल मानकों में सुधार संबंधी कार्य परियोजना रूप में आबंटित किया गया है। इस कार्य की प्रगति पर गहन निगरानी रखी जा रही है। इसके अलावा पशु चिकित्सा फार्मुलेरी का प्रारूप तैयार करने तथा आयुर्वेदिक फार्मुलेरी ऑफ इंडिया भाग-1और 2 के संशोधन का काम भी चल रहा है।
पिछली समिति का कार्यकाल समाप्त हो जाने के परिणामस्वरूप तीन वर्ष की अवधि के लिए एसपीसी का पुनर्गठन किया गया था। 20 एकल औषधियों तथा प्रत्येक फार्मुलेशनों के लिए फार्माकोपोइयल मानकों का सुधार संबंधी कार्य परियोजना रूप में आबंटित किया गया है। इसके अलावा दो नए प्रकाशनों यथा सिद्धा फार्माकोपोइयल ऑफ इंडिया भाग 1 खंड-3 तथा सिद्धा फार्मुलेरी ऑफ इंडिया (एसएफआई), भाग-3 (तमिल), साथ ही एसएफआई भाग 1 (तमिल), एसएफआई भाग 1 (अंग्रेजी) तथा एसएफआई भाग-2 (अंग्रेजी) के संशोधित संस्करणों का कार्य भी चल रहा है।
पिछली समिति की अवधि समाप्त हो जाने के परिणामस्वरूप तीन वर्ष की अवधि के लिए यूपीसी का पुनर्गठन किया गया था। नेशनल फार्मुलेरी ऑफ यूनानी मेडिसिन (एमएफयूएम) भाग 1 से 6 तथा यूनानी फार्माकोपोइया ऑफ इंडिया, भाग-1, खंड 1-6 का संशोधन भी प्रक्रियाधीन है।
वर्तमान समिति की अवधि की समाप्ति को दरकिनार कर एचपीसी का कार्यकाल एक वर्ष तक और बढ़ा दिया गया था। 10 एकल औषधियों के लिए फार्माकोपाइल मानकों के सुधार संबंधी कार्य को परियोजना रूप में आबंटित किया गया है। कार्य की प्रगति पर गहन नजर रखी जा रही है। इसके अलावा, होम्योपैथिक फार्माकोपोइया ऑफ इंडिया, खंड 1-9 के संशोधन का कार्य भी चल रहा है।
एक्स्ट्रा मुराल अनुसंधान (ईएमआर) योजना के अंतर्गत 2017-18 के दौरान उपलब्धियां
- पीएसी द्वारा स्पष्टतः/सशर्त स्वीकृत नई परियोजनाएं-12
- चालू परियोजनाओं के लिए स्वीकृत सहायता अनुदान-23
- पूरी की गई परियोजनाएं-11
- सुप्रसिद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित अनुसंधान पेपर्स-2
आयुष शिक्षा सुधार
आयुष शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के उद्देश्य से मंत्रालय आयुष विद्यार्थियों का एक देश व्यापी संगठन बनाने की योजना बना रहा है, जो विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विद्यार्थियों को एक मंच प्रदान करेगा।
नामित प्राधिकरणों के माध्यम से सभी आयुष शिक्षण संस्थानों में पूर्वस्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की शुरूआत की जा रही है। आयुष की सभी पद्धतियों के लिए पूर्वस्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश की पात्रता के लिए अभ्यर्थियों को कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे।
नामित प्राधिकरणों के माध्यम से सभी आयुष शिक्षण संस्थानों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम/ एग्जिट परीक्षा में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) की शुरूआत की जा रही है। आयुष की सभी पद्धतियों के लिए परीक्षा में अहर्ता प्राप्ति हेतु अभ्यर्थियों को कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने होंगे। किसी आयुष संस्थान विशेष की स्नातकोत्तर एनईईटी/ एग्जिट परीक्षा में अहर्ता प्राप्त विद्यार्थियों के प्रतिशत का आकलन करके उस विशेष महाविद्यालय को देय लाभ प्रदान किया जाना चाहिए तथा उसका उल्लेख दोनों एएसयू तथा एच प्रणाली के एमएसआर में किया जाएगा। यदि पिछले बैच के 70 प्रतिशत विद्यार्थी स्नातकोत्तर एनईईटी/ एग्जिट परीक्षा में अहर्ता प्राप्त करते हैं तो ऐसे महाविद्यालयों को एक साल के लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेने से छूट दी जाएगी।
आयुष संस्थानों में सभी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आयुष राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा आयोजित की जाएगी तथा ऐसे सभी शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति से पूर्व सीसीएच/ सीसीआईएम द्वारा एक अनन्य जांच कूट आबंटित किया जाएगा।
सभी आयुष चिकित्सा महाविद्यालयों में शिक्षण स्टॉफ की उपस्थिति भू-स्थल आधारित पद्धति (जियो-लोकेशन बेस्ड सिस्टम) से सुनिश्चित की जाएगी, यह पद्धति संगत परिषद (सीसीआईएम/सीसीएच) एवं मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।
********
Leave a Reply